" जीत ले जाए कोई मुझ को नसीबों वाला,
ज़िन्दगी ने मुझे दांव पे लगा रक्खा है।"
(क़तील शिफाई )
कहते हैं की जब हम कुछ सोचते रहते हैं तो हमारे खयालातों से जुड़ी कई बातें अपने आप हमारी आंखों के सामने आने लगती हैं। पिछले दो महीनों में जो कुछ भी सहा उसके बाद यही महसूस हो रहा था की मैं तो सच मुचजिन्दगी की हाथों कठपुतली बन गई हूँ, और आज अचानक ये शेर दिख गया। लगा जैसे मेरे ही दिल की बात किसी ने शब्दों में बयां कर दी हो।
aise sher dil mein seedhe utar jate hain jinhein zindagi mein khud mehsoos kiya ho.
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